षष्ठेश का विभिन्न भावों में स्थिति का फल
लग्न में - यदि षष्ठेश लग्न में हो तो जातक रोगी होता है किन्तु शत्रुओं पर हावी रहता है l वह प्रसिद्ध, धनी, स्वाभमानी, साहसी, अपनी मेहनत से धन कमाने वाला होता है l सम्बंधियों से प्राय: शत्रु भाव रहता है l वह सेना या पुलिस में अधिकारी होते है l यदि षष्ठेश कमजोर या पाप प्रभाव में हो तो चोर या डाकू बनते हैं l
द्वितीय में - षष्ठेश द्वितीय भाव में हो तो जातक साहसी, अपने कुल में प्रसिद्ध, परदेश में रहने वाला, सुखी और हमेशा काम में लगा रहने वाला होता है l उसका स्वास्थ कमजोर रहता है l आँख और मुंह के रोग होते है l दांत ख़राब होते हैं l दुश्मनों से हानि होती है l धन संचित करता है l
तृतीय में - जातक क्रोधी, डरपोक होता है l भाइयों से शत्रुता होती है l नौकर भाग जाते हैं या बदमाश होते है l
चतुर्थ में - जातक को माता का कम सुख होता है l वह स्वाभिमानी किन्तु चुगलखोर, चंचल मन वाला, धनी होता है l उसे दूसरों के प्रति लगाव होता है किन्तु इर्ष्यालु होता है l शिक्षा में रुकावट आती है l नौकर नहीं टिकते l पिता का स्वास्थ ख़राब रहता है l
पंचम में - जातक चतुर, स्वस्थ और शत्रुओं को पराजित करने वाला होता है l बच्चे बीमार रहते है l धन आता-जाता रहता है l मित्र भी अधिक समय तक साथ नहीं देते l खुदगर्ज होता है l बच्चों से अधिक परेशान रहता है l
षष्ठ में - बंधु-बाधवों से शत्रुता रहती है l घर से बाहर अच्छा व्यवहार करता है l धन का घमंड होता है l स्वास्थ ठीक रहता है l नौकरी करता है या पशुपालन करता है l
सप्तम में - जातक विख्यात होता है l वह गुणी और मान-सम्मान पाने वाला होता है l वह साहसी और धनी होता है l पत्नी का सुख कम होता है l दोनों रोगी होते हैं l यदि षष्ठेश पीड़ित हो तो पत्नी तलाक दे देती है या स्वयं पत्नी को तलाक दे देता है या पत्नी मर जाती है l
अष्टम में - जातक बीमार रहता है l ब्राह्मणों और विद्वान से लड़ता है l दूसरों के धन की कामना करता है l चरित्र हीन होता है l धन अच्छा होता है l
नवम में - जातक को चचेरे भाइयों से फायदा होता है l यदि षष्ठेश पाप प्रभाव में हो तो दरिद्र, बुरे कार्यों में संल्गन, दूराचारी होगा l स्वयं कलर्की आदि करेगा l धन की हानि होगी l लकड़ी या पत्थर का व्यापार करेगा l
दशम में - जातक साहसी होता है l पिता से मतभेद होता है l माँ से दूरी बनाकर रहता है l षष्ठेश कमजोर हो तो नौकरी से निकाल दिया जाता है l धनहीन होता है l
एकादश में - जातक मेहनती, घमंडी अपनें दुश्मनों से भी धन कमाने वाला होता है l पुत्र-सुख से रहित होता है l धन चोरी हो जाता है l दुश्मन परेशान करते है l
द्वादश में - यदि षष्ठेश द्वादश में हो तो जातक का खर्चा अधिक होता है l वह चरित्रहीन, व्यसनी, इर्ष्यालु होता है l अपनी नुकसान खुद करता है l बुरे कार्यों में धन व्यय करता है l इधर-उधर घूमता रहता है l